Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
अरुणोदय लगभग तीन दशक से दक्षिण 24 परगना के दूरदराज के इलाकों में मरीजों को देख रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने मरीचझापी के पास कुमारमारी में अपनी बहन के एक घर की मरम्मत कर चिकित्सा केंद्र बनाया। मैं वहां डेढ़ दशक से मरीज देख रहा हूं।
कोलकाता। सुंदरबन के गरीब मरीजों के इलाज की वजह से पद्मश्री से सम्मानित राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त डॉक्टर अरुणोदय मंडल को धमकी दी गई। उन्होंने सोमवार को हिन्दुस्थान समाचार से कहा, 'मुझे नहीं पता कि आने वाले दिनों में मैं आराम से काम कर पाऊंगा या नहीं।'
अरुणोदय लगभग तीन दशक से दक्षिण 24 परगना के दूरदराज के इलाकों में मरीजों को देख रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मैंने मरीचझापी के पास कुमारमारी में अपनी बहन के एक घर की मरम्मत कर चिकित्सा केंद्र बनाया। मैं वहां डेढ़ दशक से मरीज देख रहा हूं। पूरे क्षेत्र में चिकित्सा सुविधा नहीं है। लोग भी बहुत गरीब हैं। मैं सुबह साढ़े चार बजे उठता हूं। सुबह सात बजे से एक बजे तक मरीजों को देखने के बाद मैं कोलकाता लौटता हूं।'
अरुणोदय ने कहा, 'हर रविवार को औसतन 80 मरीजों को देखता हूं लेकिन मैं पिछले रविवार (4 जून) को क्षेत्र में नहीं जा सका। इसलिए कल बहुत भीड़ थी। रोगियों को देखने की शुरुआत में ही मेरे सहयोगियों ने घोषणा की कि 80 से अधिक लोग प्रतीक्षा नहीं करेंगे। अगर आप डॉक्टर को दिखाना चाहते हैं तो आपको अपना नाम लिखकर टिकट लेना होगा।
बाद में एक मरीज रिक्शे में आया और टिकट लेने की जिद करने लगा। अरुणोदय ने कहा, 'जब मेरे सहयोगी ने असहमति जताई तो पंचायत अध्यक्ष से शिकायत की गई। पंचायत प्रधान ने रिक्शा चालक को मेरा फोन नंबर लेने के लिए चैंबर में भेज दिया। मेरे सहयोगी ने मेरी जगह अपना नंबर लिखा। कुछ देर बाद उसने उस नंबर पर फोन किया और खाल उधेड़ने की धमकी दी। उसने कहा, मैं लोगों को ला रहा हूं।' सहकर्मी ने डर के मारे मुझे फोन दे दिया। पंचायत प्रधान ने मुझे भी धमकी दी। आदेश दिया, मरीज को देखने से पहले अगले रविवार को आकर मुझसे मिलें। मैंने जवाब दिया कि मैं नहीं आऊंगा। अगर जरूरत पड़ी तो मैं कुरीमारी आना बंद कर दूंगा।
अरुणोदय ने कहा, 'मैंने मामले की रिपोर्ट पुलिस स्टेशन में नहीं की। समय नहीं था। बताने से कोई फायदा नहीं है। सात साल पहले साहेबखाली के एक क्षेत्रीय प्रमुख ने मुझे धमकी दी थी कि मैं उनकी अनुमति से मरीजों को देखूंगा।'
उनका कहना है कि 'ग्रामीण बंगाल में उपचार की अत्यधिक आवश्यकता है। लोग बहुत परेशानी में हैं। इस उम्र में, मैं बिना किसी सरकारी समर्थन के दूरदराज के इलाकों में उनके साथ खड़ा होने की कोशिश करता हूं। महीने दर महीने, साल दर साल। मुझे धमकी राज्य में सत्तारूढ़ दल के नेता की ओर से इनाम है!'
सोमवार सुबह अरुणोदय ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'कल पहली बार शासक दल के अहंकार का सामना करना पड़ा। अनपढ़ों का उत्थान भयानक है। मैं नहीं जानता कि आने वाले दिनों में मैं उस द्वीप पर आराम से काम कर पाऊंगा या नहीं। इससे लाचार गरीब मरीजों को बुरा लगेगा। फिर भी, उनके बारे में सोचते हुए, मैं फिर से कुमिरमारी जाऊँगा। डर है कहीं सच में मेरी खाल न उधेड़ दी जाय।'